जिंदगी की महक

जिंदगी की महक


मौज मस्ती वहीं थी, ना कोई कमी थी
जब हुआ अहसास, बचपन था खास,
अफसोस मना रहा था, वो वक्त मुझे छोड़ जा रहा था।

पढ़ने लिखने के दिन थे, हम मस्ती में गुम थे
जब आया होश, देने लगा किस्मत को दोष
हाथ मलने से ना कुछ भी लगा हाथ था,
वो वक्त मुझे छोड़ के जा चुका था।

जवानी नशा था, रग रग जोश भरा था
कुछ कर गुजरने का हौंसला बड़ा था
जोश में होश खोकर जिए जा रहा था,
ठोकर लगी तो जाना, उसकी कीमत को माना
पर उसको था जाना, वक्त अपनी रफ्तार से चले जा रहा था, छोड़ कर मुझे आगे बढ़ा जा रहा था।

साल दर साल यूंही जीवन के बीते
हम रहे ऐसे ही रीते के रीते
वक्त जिंदगी का गुजर कर समझा रहा था
कद्र कर लो मेरी मुझको बतला रहा था
वो नही रुक रहा, बस चले जा रहा था
वक्त जिंदगी का छोड़ मुझे जा रहा था।

आभार – नवीन पहल – ११.०४. २०२३ 🎉💐🙏🏻🙏🏻

# प्रतियोगिता हेतु


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8 Comments

Punam verma

12-Apr-2023 08:46 AM

Very nice

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Abhinav ji

12-Apr-2023 08:16 AM

Very nice 👍

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बहुत ही सुंदर सृजन

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